Thursday, June 17, 2010

deedar

कर नैनो दीदार महल में प्यारा है=
कबीर साहेब का शब्द है की आप फरमाते है की यह जो शारीर है रूह या आत्मा के रहने का महल है। फिर कहते है की ईश्वर परमेश्वर ब्रम्हा परब्रम्ह खुद खुदा भी इसके अन्दर है। बहार न किसी को मिला है न ही मिलेगा। बहार क्या है कागज, पत्थर और पानी। तीर्थो पर पानी है, मुर्तिया पत्थर से बनी हुए है और किताबे कागज की है और तो कुछ नहीं, लेकिन जो ग्रन्थ , पोथिय, बेद शाश्त्र है ये सरे नाम की महिमा करते है। किताबो में नाम की महिमा है, उनमे नाम या परमात्मा खुद नहीं। वह तो तुम्हारे अन्दर है। वह जब नहीं मिलेगा अपने अन्दर ही मिलेगा। बहार नहीं
अब कहते है की तुम एस शारीर रूपी महल में दाखिल हो जावो तुम्हारा परमात्मा तुम्हारे अन्दर है। अन्दर आँखों से ऊपर चढो और उसके प्रत्यक्ष दीदार करो।

1 comment:

  1. सही बात कही आपने.
    कबीरदास जी की यह बात धारण करने योग्य है.
    अब तो लोग जैसे भूलते ही जा रहे हैं.

    ReplyDelete