Saturday, June 12, 2010

"सुप्रभात "

एक नई शुरुवात ,जीवन मे काफी संघर्षो के बाद आज ह्रदय पूरी तरह मौन है दूर से आती सूर्य की किरणों ने रात की सारी विप्रिताओ का मानो अंत कर दिया है एक स्वछंद उड़ते पंछी को ये पता नहीं उसकी उड़ान कितनी दूर तक है ,उसे तो केवल उड़ना है ,यही उसका धेय है ,उद्देश्य है हमारे जीवन मे सुप्रभात का महत्व व्यर्थ नहीं है जन्म से लेकर मृत्यु तक का ब्यौरा रखने वाला काल हमारा साक्षी है घटनाक्रम जीवन के वो सोपान है जहाँ बार बार परिक्षण देता मानस मन या तो उच्चता के शिखर पर पहुच जाता है या विप्रिताओ के घेरे मे खुद को रसातल में ला खड़ा कर देता है यहाँ पुनः सुप्रभात की क्रिया के साथ जागरण के उद्देश्य को सार्थक करना ही होंगा प्रकृति मानव से विपरीत नहीं है कहते है ,जहाँ चाह होती है वही राह भी होती है ,मील के पत्थर का उदेश्य पथिक को राह दिखाना ही नहीं होता उसका उदेश्य पथिक को मंजिल के महत्व को समझाना भी होता है ये अलग बात है ,हम इस बात पर गौर नहीं करते .मनुष्य का भटकाव यदि मन से निर्मित होता है तो वही ज्ञान की एक किरण मात्र मिल जाने पर वो पुनः अपने लक्ष्य की और अग्रसर हो जाता है रात में चमकने वाले जुगनुओ को पता नहीं उनकी अपनी ही अन्तश से निकली उर्जा शक्ति से वो प्रदीप्त हो रहा है ,उसे तो केवल लक्ष्य पाना है रौशनी में अपना भोजन उसे स्वयं ही तलाशना है जिस दिन जुगनुओ को ये ज्ञान हो गया की उनके एकात्म होने से वो प्रकाश का एक बड़ा पुंज बन सकते है तो वही सुप्रभात की कल्पना उन्हें निशा से दूर कर देगी मुझे कहना बस इतना है अंतस का ज्ञान जब तक जागृत नहीं होंगा सुप्रभात हो ही नहीं सकता अपने अन्दर के अंधकार को प्रकाश अर्थात ज्ञान की और ले जाना ही सुप्रभात है जो हम सब के जीवन का उदेश्य भी है और कर्तव्य भी
आनंद

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